इतिहासकारों की बिहार सरकार से अपील, कहा- पटना कलेक्टोरेट ऐतिहासिक धरोहर, इसे न करें ध्वस्त

Edited By Umakant yadav, Updated: 11 Oct, 2020 06:57 PM

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कलेक्टोरेट भवन को बचाने के लिए अब पटना विश्वविद्यालय के इतिहासकारों ने भी अपनी आवाज उठाई है। उनका कहना है कि सदियों पुरानी ऐतिहासिक इमारत ‘शहर का गौरव'' और ‘जीवंत धरोहर'' है और इसे बचाकर...

पटना: कलेक्टोरेट भवन को बचाने के लिए अब पटना विश्वविद्यालय के इतिहासकारों ने भी अपनी आवाज उठाई है। उनका कहना है कि सदियों पुरानी ऐतिहासिक इमारत ‘शहर का गौरव' और ‘जीवंत धरोहर' है और इसे बचाकर अगली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए। इतिहासकारों ने यह भी चेताया कि पटना कलेक्टोरेट भवन को गिराने से ‘बड़ा नुकसान' होगा और शहर के इतिहास की निरंतरता में अंतराल आएगा।

पटना के 103 साल पुराने विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के वर्तमान और पूर्व प्रमुखों, अन्य विद्वानों, मौजूदा कुलपति और उनसे पूर्व रहे कुलपति ने बिहार सरकार से ऐतिहासिक इमारत को नहीं गिराने की अपील की है। इतिहास विभाग के प्रमुख सुरेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘कलेक्टोरेट हमारी जीवंत धरोहर है, हमारा जीवंत इतिहास है और इसे निश्चित रूप से बचाया जाना चाहिए। इस बारे में दो राय नहीं हैं।''

 उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल कलेक्टोरेट भवन इस बात का जीवंत प्रमाण है कि पटना 17वीं सदी में भी फलता-फूलता नदी किनारे बसा शहर था और अंग्रेजों के पहुंचने से पहले ही डच, डेनिश तथा अन्य विदेशियों का पसंदीदा गंतव्य था।'' उन्होंने कहा कि ये इमारतें शहर के गौरवपूर्ण कालखंड की साक्षी रही हैं। इतिहास विभाग की पूर्व प्रमुख भारती कुमार ने कहा कि कलेक्टोरेट भवन डच और ब्रिटिश काल से है और यह 1857 से जिला प्रशासन का केंद्र रहा है जिस समय पटना बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए कलेक्टोरेट के रूप में इसका 160 साल से ज्यादा पुराना इतिहास रहा है। इसने 1912 में बिहार प्रांत की स्थापना से लेकर दो विश्व युद्धों, देश की आजादी तक इतिहास के पलटते पन्नों को देखा है। यह शहर के विकासक्रम का हिस्सा रहा है।'' उन्होंने कहा कि कलेक्टोरेट भवन को बचाना जरूरी है ताकि बिना किसी पूर्वाग्रह के इतिहास की निरंतरता को संरक्षित रखा जा सके।

पटना विश्वविद्यालय के कुलपति जी के चौधरी ने कहा, ‘‘इसे पटना के ऐतिहासिक वास्तुशिल्प के रूप में संरक्षित रखा जाना चाहिए जिससे अनेक पीढ़ियों की स्मृतियां जुड़ी हैं।'' लॉकडाउन के दौरान सेवानिवृत्त हुए पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आरबीपी सिंह ने कलेक्टोरेट को ‘पटना का गौरव' बताते हुए कहा कि इस ‘शिल्प सौंदर्य' को बचाया जाना चाहिए।

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