बीपीएससी लीक मामला : जदयू से जुड़े निजी कॉलेज का प्रधानचार्य गिरफ्तार

Edited By PTI News Agency, Updated: 25 Jun, 2022 05:57 PM

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पटना, 25 जून (भाषा) बिहार के एक निजी कॉलेज के प्रधानाचार्य शक्ति कुमार का नाम बिहार लोकसेवा आयोग (बीपीएससी) प्रश्नपत्र लीक मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

पटना, 25 जून (भाषा) बिहार के एक निजी कॉलेज के प्रधानाचार्य शक्ति कुमार का नाम बिहार लोकसेवा आयोग (बीपीएससी) प्रश्नपत्र लीक मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
जानकारी के मुताबिक इस कॉलेज की संबद्धता की मियाद कई साल पहले ही खत्म हो गई थी, इसके बावजूद उसे कई परीक्षाओं का केंद्र बनाया गया।
मामले की जांच कर रही बिहार पुलिस की आर्थिक अपराधा शाखा (ईओयू) ने बताया कि शक्ति कुमार को गया जिले से गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि कुमार संध्याकालीन महाविद्यालय के प्रधानाचार्य थे, जिसकी संबद्धता वर्ष 2018 में ही समाप्त हो चुकी थी।
कुमार के कॉलेज को भी आठ मई को हुई बीपीएससी की प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया था। हालांकि, प्रश्नपत्र लीक होने और प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इसे रद्द कर दिया गया था।
ईओयू ने बताया कि कुमार राम शरण सिंह संध्याकालीन महाविद्यालय में परीक्षा केंद्र के अधीक्षक के तौर पर मौजूद थे और उन्होंने प्रश्नपत्र को स्कैन कर व्हाट्सऐप के जरिये कपिल देव नामक व्यक्ति के साथ साझा किया था।
ईओयू के मुताबिक सिविल डिफेंस अकाउंट्स में कर्मचारी कपिल देव ने प्रश्नपत्र की स्कैन प्रति इंजीनियरिंग में स्नातक और प्रश्नपत्र लीक गिरोह के कथित मास्टरमाइंड पिंटू यादव को दिया था।
पुलिस ने बताया कि कपिल देव और पिंटू यादव को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के लिए यह तथ्य सामने आने के बाद असहज स्थिति पैदा हो गई है कि शक्ति कुमार के करीबी रिश्ते पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से हैं।
कुशवाहा ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए इस तथ्य से इंकार नहीं किया कि शक्ति कुमार राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में अहम पद पर थे जिसकी स्थापना उन्होंने की थी और वह उक्त पार्टी के अध्यक्ष थे। कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय कर दिया था।
कुशवाहा ने कहा, ‘‘उन्हें (शक्ति कुमार को) जांच के दौरान कोई लाभ नहीं मिलेगा।’’
उन्होंने कहा,‘‘कानून अपना काम करेगा। इस बात की जांच की जानी चाहिए कि कैसे महाविद्यालय को परीक्षा केंद्र बनाया गया, जबकि उसकी संबद्धता समाप्त हो चुकी थी।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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