नौकरी छोड़ी, आइडिया अपनाया- बिहार के 2 स्टार्टअप्स की सक्सेस स्टोरी, जानिए कैसे खड़े किए करोड़ों के सपने

Edited By Swati Sharma, Updated: 30 Dec, 2025 06:12 PM

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Success Story: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के 20 वर्षों के कार्यकाल में बिहार ने न सिर्फ सरकारी नौकरियों के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छुई हैं, बल्कि अब राज्य में उद्यमिता की एक मजबूत लहर भी आकार ले चुकी है। बिहार सरकार के उद्योग विभाग की...

Success Story: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के 20 वर्षों के कार्यकाल में बिहार ने न सिर्फ सरकारी नौकरियों के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छुई हैं, बल्कि अब राज्य में उद्यमिता की एक मजबूत लहर भी आकार ले चुकी है। बिहार सरकार के उद्योग विभाग की बिहार स्टार्टअप योजना (Bihar Startup Scheme) आज ऐसे युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है, जो नौकरी की राह छोड़कर अपने नवाचार से समाज और अर्थव्यवस्था-दोनों को नई दिशा देना चाहते हैं।

बीते पांच वर्षों में हजारों स्टार्टअप खड़े हुए 

बीते पांच वर्षों में इस योजना के तहत बिहार में सैकड़ों नहीं, बल्कि हजारों स्टार्टअप खड़े हुए हैं। इन स्टार्टअप्स ने अपने अनोखे प्रोडक्ट और तकनीक के जरिये न सिर्फ राज्य, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार की पहचान को मज़बूत किया है। इन्हीं में से दो स्टार्टअप आज खास तौर पर चर्चा में हैं-एक स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है, तो दूसरा किसानों की आमदनी बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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AI से ब्रेनमैपिंग, जिंदगियों को नई उम्मीद

वैशाली जिले से शुरू हुआ हेल्थकेयर स्टार्टअप न्यूरोपाइ रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड आज मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। इस स्टार्टअप के संस्थापक रवि आनंद ने जवाहरलाल टेक्निकल विश्वविद्यालय से एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने के बजाय अपनी तकनीकी दक्षता को समाज के हित में लगाने का निर्णय लिया। कोविड महामारी के बाद बिहार में डिप्रेशन और सुसाइडल लक्षणों से जूझ रहे मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रवि आनंद ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक ब्रेनमैपिंग सॉफ्टवेयर विकसित किया। इस तकनीक के जरिये मानसिक समस्याओं की शुरुआती पहचान आसान हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने साइकैट्रिस्ट और काउंसलर की एक विशेष टीम भी तैयार की, जो मरीजों के उपचार में अहम भूमिका निभा रही है।

रवि आनंद बताते हैं कि स्टार्टअप की शुरुआती अवस्था में बिहार सरकार की स्टार्टअप योजना के तहत मिली 10 लाख रुपये की सहायता उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं थी। आज उनके स्टार्टअप से प्रभावित होकर कई स्कूल और कॉलेज उन्हें सेमिनार व वर्कशॉप के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। गंभीर मरीजों के लिए मुफ्त सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। वर्ष 2022 में शुरू हुआ यह स्टार्टअप आज सालाना 2.5 से 3 लाख रुपये तक का राजस्व अर्जित कर रहा है।

ग्रेनएक्स: किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला स्टार्टअप

कृषि क्षेत्र में बदलाव की कहानी लिख रहा है साल 2020 में शुरू हुआ स्टार्टअप ग्रेनएक्स। इसके फाउंडर रूपेश मंगलम ने चेन्नई से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद छह वर्षों तक टीसीएस में नौकरी की। कोविड के दौरान वर्क फ्रॉम होम मिलने पर वे अपने पैतृक गांव जहानाबाद लौटे, जहां किसानों की चुनौतियों ने उन्हें कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया। रूपेश मंगलम ने किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ते हुए काले चावल और काले गेहूं  की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। बिहार सरकार की स्टार्टअप योजना के तहत मिली सहायता से उन्होंने किसानों को बीज उपलब्ध कराए और फसल तैयार होने पर स्वयं ही उत्पाद की खरीद की। इसका नतीजा यह हुआ कि किसानों की आय में 50 प्रतिशत से अधिक का इज़ाफ़ा हुआ।

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ग्रेनएक्स की सबसे बड़ी उपलब्धि इसकी सॉइल टेस्टिंग मशीन  है, जिसने खेती की लागत को कम करने में अहम भूमिका निभाई है। इस प्रोडक्ट से प्रभावित होकर बिहार सरकार ने कृषि विभाग के लिए 470 मशीनों का बड़ा ऑर्डर भी दिया है। रूपेश मंगलम के अनुसार, मार्च 2026 तक हर प्रखंड के लिए ये मशीनें तैयार कर विभाग को सौंपी जाएँगी। इससे किसानों की लागत 30–32 प्रतिशत तक घटेगी और मुनाफ़े में 50–55 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

स्टार्टअप से सशक्त होता बिहार

AI आधारित हेल्थकेयर से लेकर खेती में तकनीकी नवाचार तक, ये दोनों स्टार्टअप इस बात का प्रमाण हैं कि बिहार की स्टार्टअप नीति आज सिर्फ़ योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीन पर बदलाव की कहानी लिख रही है। बिहार के युवा उद्यमी अब अपने आइडिया से न सिर्फ़ रोज़गार सृजन कर रहे हैं, बल्कि राज्य को विकास की नई राह पर भी ले जा रहे हैं।

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