फर्जी नियुक्ति मामले में 22 वर्ष बाद आया फैसला, सरकारी शिक्षक समेत 3 लोगों को 4-4 साल की सजा

Edited By Ramanjot, Updated: 31 May, 2022 01:20 PM

three people sentenced after 22 years in fake appointment case

सीबीआई की विशेष न्यायाधीश गीता गुप्ता ने मामले में सुनवाई के बाद बांका जिले के सरकारी शिक्षक मनदेश्वर भगत, फर्जी शिक्षक नकुल मंडल एवं इस अपराध में शामिल अरविंद रविदास को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड विधान की अलग-अलग धाराओं में दोषी करार...

पटनाः बिहार में पटना स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने फर्जी नियुक्ति मामले में एक सरकारी शिक्षक समेत तीन लोगों को चार-चार वर्षों के सश्रम कारावास के साथ ही 13 हजार रुपये तक जुर्माने की सजा सुनाई।

सीबीआई की विशेष न्यायाधीश गीता गुप्ता ने मामले में सुनवाई के बाद बांका जिले के सरकारी शिक्षक मनदेश्वर भगत, फर्जी शिक्षक नकुल मंडल एवं इस अपराध में शामिल अरविंद रविदास को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड विधान की अलग-अलग धाराओं में दोषी करार देने के बाद यह सजा सुनाई है।

आरोप के अनुसार, वर्ष 1986 से 1988 के बीच दोषियों ने एक अपराधिक षड्यंत्र के तहत धोखाधड़ी एवं जालसाजी पूर्वक सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी शिक्षक के पद पर नियुक्ति कर दी। जांच में यह पाया गया था कि अभियुक्त नकुल मंडल स्वयं को हरिजन बताते हुए सरकारी शिक्षक की नौकरी प्राप्त की थी जबकि वह सूढी जाती का था।

गौरतलब है कि बांका जिले में शिक्षकों की नियुक्ति में घोर भ्रष्टाचार एवं जालसाजी की सूचना मिलने के बाद निगरानी ने जांच शुरू की थी लेकिन फिर उसके बाद पटना उच्च न्यायालय के आदेश से मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। इसके बाद सीबीआई ने अलग-अलग कई मामले दर्ज कर जांच की थी। प्रस्तुत मामला आरसी 8 ए/1999 के रूप में दर्ज किया गया था।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!