भाकपा-माले नेता महबूब आलम ने कहा- वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक स्पष्ट रूप से पूर्वाग्रह से ग्रसित

Edited By Ramanjot, Updated: 26 Nov, 2024 02:38 PM

wakf board amendment bill is clearly biased mehboob alam

आलम ने कहा कि सच्चर समिति की 2006 की रिपोर्ट ने वक्फ को कल्याणकारी गतिविधियों में शामिल एक सामाजिक-धार्मिक संस्था के रूप में मान्यता दी थी। उसने बोर्ड को आवश्यक वित्तीय और कानूनी ताकत देने और उसके प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने की अनुशंसा की थी।...

पटना: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवाादी (भाकपा-माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि प्रस्तावित वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 स्पष्ट रूप से पूर्वाग्रह से ग्रसित और संविधान से अल्पसंख्यक समुदाय को हासिल धार्मिक आजादी एवं विश्वास के अधिकार पर एक गंभीर हमला है।        

आलम ने कहा कि सच्चर समिति की 2006 की रिपोर्ट ने वक्फ को कल्याणकारी गतिविधियों में शामिल एक सामाजिक-धार्मिक संस्था के रूप में मान्यता दी थी। उसने बोर्ड को आवश्यक वित्तीय और कानूनी ताकत देने और उसके प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने की अनुशंसा की थी। 2013 में व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श करके वक्फ अधिनियम के प्रभावी संशोधनों को मजबूत बनाने की बात कही गई थी। इसके विपरीत, प्रस्तावित विधेयक हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा को थोपने का प्रयास है। यह वक्फ बोर्ड की भूमिका, उसके अधिकार और उसकी शक्तियों में बुनियादी रूप से बदलाव कर देगा। 

भाकपा माले विधायक दल के नेता ने कहा कि हम द्दढ़ता से महसूस करते हैं कि संशोधन विधेयक 2024 को उसके वर्तमान स्वरूप में वापस लिया जाना चाहिए और व्यापक परामर्श के आधार पर सच्चर समिति की इच्छानुसार वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को मजबूत और बेहतर बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। 

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