Edited By Ramanjot, Updated: 19 Feb, 2022 12:34 PM
तौसीफ पठान अहमदाबाद बम ब्लास्ट के बाद से फरार चल रहा था। इसके बाद वह नाम बदलकर गया में रहने लगा और शिक्षक बन बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ाता था। उनकी गिरफ्तारी में शहर के एक साइबर कैफे संचालक ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई, जहां तौसीफ आता था। इसी बीच अखबार...
गयाः गुजरात के अहमदाबाद जिले में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में विशेष अदालत ने 49 गुनहगारों को सजा सुनाई है। इनमें 38 को फांसी दी जाएगी और 11 आंतकी ताउम्र जेल में रहेंगे। जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनमें तौसीफ नाम का आतंकी पिछले 5 साल से बिहार की गया जेल में बंद है।
तौसीफ पठान अहमदाबाद बम ब्लास्ट के बाद से फरार चल रहा था। इसके बाद वह नाम बदलकर गया में रहने लगा और शिक्षक बन बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ाता था। उनकी गिरफ्तारी में शहर के एक साइबर कैफे संचालक ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई, जहां तौसीफ आता था। इसी बीच अखबार में अहमदाबाद बम ब्लास्ट के फरार चल रहे आरोपियों की फोटो छपी थी, जिसे साइबर कैफे के संचालक अनुराग बोस ने देखा था।
इसी बीच 15 सितंबर 2017 की दोपहर आतंकी तौसीफ पठान साइबर कैफे में आया तो अनुराग बोस की नजर उस पर पड़ गई। उसने तुरंत सिविल लाइन थाने को फोन कर सूचना दे दी, लेकिन पुलिस ने आने में देर कर दी और तौसीफ वहां से उठकर चलने लगे। इसके बाद अनुराग ने तौसीफ का पीछा किया। इसी दौरान कलेक्ट्रेट गोलंबर के पास पुलिस को देख शोर मचाते हुए तौसीफ को दबोच लिया। जांच पड़ताल के बाद पुलिस को पता चला कि यह अहमदाबाद बम ब्लास्ट का मुख्य आरोपी तौसीफ ही है।
15 सितंबर 2017 से ही तौसीफ गया केंद्रीय कारा में बंद है। इसी बीच कोर्ट में पेशी के लिए 27 नवंबर 2017 को अहमदाबाद लाया गया। इसके बाद 9 मार्च 2020 को दोबारा उसे गया केंद्रीय कारा में लौटा दिया गया। बता दें, अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में 56 लोगों की जान गई थी।