'आरक्षण के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाकर राजनीतिक पाखंड कर रहे तेजस्वी', JDU ने राजद पर बोला हमला

Edited By Ramanjot, Updated: 03 Aug, 2024 10:49 AM

jdu state president umesh kushwaha attacks tejashwi

कुशवाहा ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि अपनी पार्टी में परिवार फर्स्ट की नीति अपनाने वाले तेजस्वी यादव कभी आरक्षण के हितैषी नहीं हो सकते हैं। राजद में लाभ वाले सभी पदों पर केवल लालू परिवार के सदस्यों का कब्जा है। सामाजिक न्याय की आड़ में राजद ने...

पटना: बिहार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरक्षण को लेकर प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव आरक्षण के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाकर राजनीतिक पाखंड कर रहे हैं। 

सामाजिक न्याय की आड़ में RJD ने परिवारवाद को दिया बढ़ावा
कुशवाहा ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि अपनी पार्टी में परिवार फर्स्ट की नीति अपनाने वाले तेजस्वी यादव कभी आरक्षण के हितैषी नहीं हो सकते हैं। राजद में लाभ वाले सभी पदों पर केवल लालू परिवार के सदस्यों का कब्जा है। सामाजिक न्याय की आड़ में राजद ने अब तक परिवारवाद को बढ़ावा दिया और आज आरक्षण के नाम पर घड़यिाली आंसू बहाकर तेजस्वी राजनीतिक पाखंड कर रहे हैं। जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आरक्षण पर नैतिकता का उपदेश देने से पहले यादव अपनी पार्टी में दलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की यथोचित भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि 15 वर्षों तक बिहार में राजद की सरकार थी लेकिन अतिपिछड़ा वर्ग के प्रति लालू परिवार की घृणित मानसिकता के कारण पंचायती राज एवं नगर निकायों में अतिपिछड़ा आरक्षण की मांग को लगातार अनसुना किया गया।

कुशवाहा ने कहा कि वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार की बागडोर मिली तो उन्होंने सबसे पहले अतिपिछड़ा समाज के लिए पंचायती राज एवं नगर निकायों में आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की। उन्होंने पूछा कि तेजस्वी यादव बताएं कि आखिर किन कारणों से वर्ष 1990 से 2005 तक उनके माता-पिता ने अतिपिछड़ा आरक्षण में अड़ंगा लगाया। जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने पूछा कि वर्ष 1990 से 2005 तक तेजस्वी यादव के माता-पिता को बिहार में जातीय गणना कराने और आरक्षण का दायरा बढ़ाने से किसने रोका था। वर्ष 2004 से 2014 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में राजद प्रमुख साझेदार थी लेकिन तब भी जातीय जनगणना को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई। बिहार की जनता ने जब राजद को 15 वर्षों तक शासन करने का मौका दिया तो उन्होंने कभी दलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा समाज के हितों की चिंता नहीं की और आज वही लोग आरक्षण पर हायतौबा मचा रहे हैं। 

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