Edited By Ramanjot, Updated: 07 Oct, 2024 10:52 AM
भाकपा-माले महासचिव ने कहा कि पूरा उत्तर-पूर्व बाढ़ की तबाही झेल रहा है, हजारों लोग बेघर हो गए हैं, लेकिन बिहार की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-जनता दल यूनाईटेड (जदयू) सरकार सात हजार रुपए की मामूली सहायता देकर अपनी जिम्मेवारी से मुक्त हो गई है।...
दरभंगा: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि कोसी का तटबंध सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण टूटा है। दरभंगा जिला के कीरतपूर प्रखंड के भूभौल गांव जहां इस बार कोसी का तटबंध टूटा, उस कटाव स्थल पर माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य पार्टी नेताओं की एक टीम के साथ पहुंचे और बाढ़ से प्रभावित लोगों से मुलाकात की एवं उससे हुए नुकसान और सरकार के राहत-बचाव कार्य का जायजा लेकर लौटने के बाद पत्रकारों से बातचीत की।
"औराई में राहत मांग रहे लोगों पर लाठीचार्य निंदनीय"
भाकपा-माले महासचिव ने कहा कि पूरा उत्तर-पूर्व बाढ़ की तबाही झेल रहा है, हजारों लोग बेघर हो गए हैं, लेकिन बिहार की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-जनता दल यूनाईटेड (जदयू) सरकार सात हजार रुपए की मामूली सहायता देकर अपनी जिम्मेवारी से मुक्त हो गई है। उन्होंने कहा कि इससे भी निंदनीय यह है कि नीतीश कुमार जी बाढ़ सहित राज्य की अन्य समस्याओं पर फोकस करने की बजाय 2025 के चुनाव की योजना बना रहे हैं। इससे साफ जाहिर है कि उन्हें जनता की नहीं बल्कि अपनी कुर्सी की चिंता है। उन्होंने कहा कि कोसी के तटबंधों का भाजपा-नीतीश सरकार में दो बार टूटना बड़ा सवाल करता है। यह सरकार की आपराधिक लापरवाही को दर्शाता है। आत्ममुग्ध सरकार जमीनी हकीकत से पूरी तरह कट सी गई है। जिन लोगों के घर ध्वस्त हो गए, उन परिवारों के लिए सात हजार राहत की घोषणा ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। औराई में राहत मांग रहे लोगों पर लाठीचार्य निंदनीय है। उन्होंने कहा कि बाढ़ की तबाही को देखते हुए सरकार को खुद पहल कर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी और राहत, फसल क्षति मुआवजा व बाढ़ के स्थायी समाधान पर बातचीत करनी चाहिए थी, लेकिन इस दिशा में सरकार का कोई विचार नहीं है।
"माल मवेशी का हुआ भारी नुकसान"
भट्टाचार्य ने कहा कि बाढ़ से दरभंगा, मधुबनी, सहरसा और समस्तीपुर जिले के लगभग 50 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में दसियों हजार परिवार बुरी तरह प्रभावित है। जहां तटबंध टूटा है वहां बस्तियां विलीन हो गई हैं, एक दो ही घर बचे हैं। दर्जनों रोड, पुल पुलिया और संपर्क पथ ध्वस्त हो गए हैं। स्कूलों के कैम्पस में पानी है। फ़सल पूरी तरह नष्ट हो गई है और रबी फसल होने की भी कोई उम्मीद नहीं रह गई है। माल मवेशी का भारी नुकसान हुआ है। बचे मवेशियों के सामने चारा का संकट है। साथ ही, बाढ़ पीड़ति भी भोजन और इलाज का संकट झेल रहे हैं।