Edited By Nitika, Updated: 05 Nov, 2020 05:16 PM
बिहार में तीसरे चरण में 7 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर जिले की बोचहा (सुरक्षित) सीट से राजद के कद्दावर नेता और पूर्व परिवहन मंत्री रमई राम नौंवी बार जीत अपने नाम करने की जुगत में हैं।
पटनाः बिहार में तीसरे चरण में 7 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर जिले की बोचहा (सुरक्षित) सीट से राजद के कद्दावर नेता और पूर्व परिवहन मंत्री रमई राम नौंवी बार जीत अपने नाम करने की जुगत में हैं। वहीं मुजफ्फरपुर सीट से सूबे के नगर विकास एवं आवास मंत्री और भाजपा उम्मीदवार सुरेश कुमार शर्मा की प्रतिष्ठा भी दाव पर लगी है।
शाही लीची के लिए मशहूर मुजफ्फरपुर जिले की 11 विधानसभा सीट में से 6 सीट गायघाट, औराई, बोचहा (सु), सकरा, कुढ़नी और मुजफ्फरपुर सीट पर तीसरे चरण के तहत सात नवंबर को मतदान होना है वहीं जिले की अन्य 5 सीट मीनापुर, कांटी, बरूराज, पारु, साहिबगंज पर दूसरे चरण के तहत 3 नवंबर को मतदान हो चुका है। बोचहा (सुरक्षित) सीट से 8 बार जीत का सेहरा अपने नाम कर चुके राजद के दिग्गज नेता रमई राम चुनावी रणभूमि में उतरे हैं और उनके सामने एनडीए के घटक दल वीआईपी उम्मीदवार पूर्व विधायक मुसाफिर पासवान राम के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं। लोजपा के अमर प्रसाद मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगे हैं।
वर्ष 2015 में निर्दलीय प्रत्याशी बेबी कुमारी ने राजद के रमई राम को 24130 मतों से पराजित कर सभी को चौंका दिया था। बाद में बेबी कुमारी भाजपा में शामिल हो गई। वर्ष 2015 में दिवंगत रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु भी लोजपा के टिकट पर चुनावी समर में उतरे थे हालांकि उन्हें चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा भाजपा से टिकट मिलने से नाराज बेबी कुमारी ने बगावत कर लोजपा से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं के समझाने के बाद उन्होंने अब भाजपा में ही अपनी आस्था जताई है। बोचहा सुरक्षित सीट से वर्ष 1972 में रमई राम ने इस क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1980, 1985, 1990, 1995, 2000, फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005, वर्ष 2000 में चुनाव जीता। हालांकि वर्ष 1977 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार के चुनाव में 14 प्रत्याशी चुनावी रण में उतरे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला राजद के राम और वीआईपी प्रत्याशी पासवान के बीच माना जा रहा है। दलित महादलित बहुल इस क्षेत्र में अब तक भूमिहार, निषाद, यादव और राजपूत जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं।