Edited By Mamta Yadav, Updated: 23 Aug, 2024 09:26 PM
यूनिसेफ बिहार और एमिटी यूनिवर्सिटी पटना की साझेदारी द्वारा आज मीडिया कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें मीडिया पेशेवरों, सरकारी अधिकारियों और छात्रों के एक विशिष्ट समूह ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका का...
Patna News: यूनिसेफ बिहार और एमिटी यूनिवर्सिटी पटना की साझेदारी द्वारा आज मीडिया कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें मीडिया पेशेवरों, सरकारी अधिकारियों और छात्रों के एक विशिष्ट समूह ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका का अन्वेषण किया। बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक रवि भूषण सहाय इस कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि थे। मीडिया कॉन्क्लेव का उद्देश्य मीडिया को बच्चों और किशोरों द्वारा सामना की जाने वाली विविध चुनौतियों पर गहरी संलग्नता के लिए प्रेरित करना था।
शिवेंद्र पांडेय, कार्यक्रम प्रबंधक, यूनिसेफ बिहार द्वारा संचालित इस पैनल चर्चा में प्रमुख अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू समाचार पत्रों के संपादकों, दूरदर्शन के प्रतिनिधी, एफएम और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों के एक प्रभावशाली समूह ने भाग लिया। उन्होंने एक विचारशील संवाद किया जिसमें बच्चों और किशोरों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिए मीडिया वकालत की अत्यावश्यकता पर जोर दिया गया। चर्चा के दौरान, स्वास्थ्य और शिक्षा में असमानताएँ, बाल श्रम और बाल विवाह जैसी प्रमुख समस्याओं पर ध्यान दिया गया। पैनल के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि ये समस्याएँ, जो सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में गहराई से निहित हैं, मीडिया के तत्काल और निरंतर ध्यान की मांग करती हैं। उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि पत्रकारिता एक शक्तिशाली उपकरण है, जो सार्वजनिक विमर्श को आकार देने, संवाद को प्रज्वलित करने और सामुदायिक कार्रवाई और नीति सुधारों को प्रभावित करने में सक्षम है, जो बच्चों और किशोरों के लिए स्थायी परिवर्तन ला सकते हैं। यह भी बताया गया कि रिपोर्टिंग के दौरान यदि लैंगिक-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाए, तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी बच्चों को, चाहे उनका लिंग कोई भी हो, उन्हें देखा जाए, सुना जाए और उनकी सुरक्षा की जाए।
पैनल ने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चों का शोषण और उपेक्षा से बचाने के लिए कानूनों का निर्माण किया गया है, लेकिन इन कानूनों का कार्यान्वयन अक्सर कमज़ोर पड़ जाता है। यहां मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। मीडिया लगातार उन कमियों की रिपोर्टिंग और उन मामलों पर प्रकाश डालकर, जहां बच्चे असुरक्षित रहते हैं, यह सुनिश्चित कर सकती है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए कानून केवल लागू ही नहीं किए जाएं, बल्कि प्रभावी ढंग से कार्यान्वित भी हों। चर्चा का एक अन्य प्रमुख विषय था सार्वजनिक विमर्श में बच्चों की भागीदारी को बढ़ावा देना। पैनल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बच्चों को उनके जीवन से जुड़े मुद्दों में आवाज़ देने से उनके सशक्तिकरण और सक्रियता की भावना को बढ़ावा मिलता है, जिससे वे अपने समुदायों में सक्रिय योगदानकर्ता बनते हैं। मीडिया प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया कि वे बच्चों के लिए स्थान बनाएं, यह सुनिश्चित करें कि विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं के दृष्टिकोण सुने और सम्मानित किए जाएं।
पैनल चर्चा का समापन मीडिया, सरकार और नागरिक समाज के बीच मजबूत सहयोग के लिए एक जोरदार आह्वान के साथ हुआ, ताकि इन बहुआयामी चुनौतियों का समाधान किया जा सके। मीडिया कॉन्क्लेव ने भविष्य के संवादों और साझेदारियों के लिए सफलतापूर्वक नींव रखी, जिसका उद्देश्य बाल अधिकारों की वकालत को मजबूत करना था। प्रतिभागियों ने बच्चों की कहानियों को प्रकट करने, उनके अधिकारों की वकालत करने और हर बच्चे के लिए एक उज्जवल, सुरक्षित भविष्य को बढ़ावा देने के लिए अपने प्लेटफार्मों का उपयोग करने की नई प्रतिबद्धता के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हर बच्चा एक सुरक्षित, स्वस्थ और सशक्त जीवन जी सके। इस कॉन्क्लेव में हिंदुस्तान टाइम्स, हिंदुस्तान, कौमी तंज़ीम, दूरदर्शन बिहार, रेड एफएम, देशप्राण डिजिटल अख़बार और लाइव बिहार डिजिटल चैनल सहित कई मीडिया हाउसों ने भाग लिया।