Edited By Ramanjot, Updated: 26 Jul, 2024 12:52 PM

Snake Fair: इस मेले को देखने के लिए बिहार, उत्तरप्रदेश और नेपाल के साथ-साथ अन्य दूसरे राज्यों से भी लोग यहां आते है। समस्तीपुर में लगने इस अनोखे मेले की शुरुआत जिले के सिंघिया बाजार स्थित मां भगवती के मंदिर से पूजा अर्चना कर की जाती है। इसके बाद...
Snake Fair: बिहार में समस्तीपुर जिले नागपंचमी पर सांपों का अद्वभुत मेला लगता है। इस मेले को देखकर सामान्य लोगों के तो रोंगटे खड़े हो जाएं। सर्पमेला नागपंचमी के दिन प्रतिवर्ष लगाया जाता है। इस साल भी जिले के विभूतिपुर प्रखंड के सिंधिया घाट में गुरुवार को सांपों का अद्वभुत मेले का आयोजन किया गया। नागपंचमी के दिन विषैले सांपों को पकड़ने की इस मेले में परंपरा रही है।

मेले को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
इस मेले को देखने के लिए बिहार, उत्तरप्रदेश और नेपाल के साथ-साथ अन्य दूसरे राज्यों से भी लोग यहां आते है। समस्तीपुर में लगने इस अनोखे मेले की शुरुआत जिले के सिंघिया बाजार स्थित मां भगवती के मंदिर से पूजा अर्चना कर की जाती है। इसके बाद ढ़ोल एवं मृदंग के साथ सभी श्रद्वालु सिंधिया घाट स्थित बूढ़ी गंडक नदी पहुंचते हैं जहां पूजा अर्चना कर सांपों का प्रदर्शन किया जाता है। सांप भी इतने जहरीले कि इनके जहर की एक बूंद किसी की भी जान ले ले और भगत सांपों को नदी में डुबकी लगाकर हाथ और मुंह से पकड़ कर निकालते हैं।

सांपों को हाथ या गले में लपेटकर घूमते दिखते हैं लोग
लोग सांपों को हाथ में लेकर या गले में लपेटकर घूमते दिखते हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि भगत तंत्र-मंत्र के जरिए विषैले से विषैले सांपों का जहर निकाल देते हैं। पूजा करने के बाद इन सांपों को फिर से जंगल में छोड़ दिया जाता है। पुजारी भगत श्रीराम सिंह और सुरेश भगत ने बताया कि नागपंचमी के अवसर पर सांपों का यह अनोखा मेला करीब तीन सौ वर्षों से भी अधिक समय से यहां लगाया जाता है, जो देश मे सांपों का यह अनोखा मेला है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि जो भी लोग मंदिर आकर सांपों का पूजा करते हैं, उनकी सिद्धि और मनोकामना पूरी होती है।