Edited By Ramanjot, Updated: 11 Dec, 2025 08:56 AM

बिहार विधानसभा चुनाव में बुरी तरह सिमटकर सिर्फ 6 सीटों पर पहुंची कांग्रेस अब तक अपना विधायक दल नेता तक नहीं तय कर पाई है।
Bihar Congress Crisis: बिहार विधानसभा चुनाव में बुरी तरह सिमटकर सिर्फ 6 सीटों पर पहुंची कांग्रेस अब तक अपना विधायक दल नेता तक नहीं तय कर पाई है। 18वीं विधानसभा का पहला सत्र खत्म हो चुका है, विपक्ष में बैठी कांग्रेस सरकार पर एक भी हमला नहीं बोल पाई, क्योंकि पार्टी के पास अभी तक कोई आधिकारिक लीडर ऑफ ऑपोजिशन ही नहीं है। वजह साफ है – इन छह विधायकों में आपसी सहमति बन ही नहीं पा रही।
तीन नए, एक AIMIM से आया, एक बीमार, एक आदिवासी – कोई फिट नहीं बैठ रहा!
कांग्रेस के छह विधायकों में तीन पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं – वाल्मीकिनगर से सुरेंद्र प्रसाद, चनपटिया से अभिषेक रंजन और फारबिसगंज से मनोज कुमार विश्वास। इनके पास विधायी अनुभव न के बराबर है।
किशनगंज से कमरुल होदा अनुभवी हैं, लेकिन वे हाल ही में AIMIM छोड़कर कांग्रेस में आए हैं। पार्टी को डर है कि उन्हें नेता बनाया तो पुराने कांग्रेसी नाराज हो सकते हैं।
तीसरी बार जीते अबिदुर रहमान का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। सबसे अनुभवी पूर्व IPS मनोहर प्रसाद सिंह चौथी बार विधायक बने हैं, लेकिन वे आदिवासी समुदाय से हैं और जातीय समीकरण में पूरी तरह फिट नहीं बैठ रहे। पुराने नेता शकील अहमद खान और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम इस बार चुनाव हार गए, इसलिए उनके नाम पर भी कोई सहमति नहीं बन पा रही।
आखिरकार दिल्ली भेज दी गई फाइल
1 दिसंबर को बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरू पटना आए और सभी छह विधायकों के साथ लंबी बैठक की। प्रदेश अध्यक्ष और कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे, लेकिन कोई नाम फाइनल नहीं हो सका। अंत में फैसला लिया गया कि सभी विधायक मिलकर एक प्रस्ताव बनाएं और फाइल दिल्ली भेज दें। अब छह विधायकों ने अपना प्रस्ताव आलाकमान को भेज दिया है। राष्ट्रीय नेतृत्व जो नाम तय करेगा, वही बिहार कांग्रेस का विधायक दल नेता बनेगा।