Edited By Ramanjot, Updated: 12 Dec, 2025 06:21 PM

भगवान बुद्ध के पवित्र स्मृति अवशेषों को समर्पित वैशाली का नवनिर्मित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय और स्मृति स्तूप अब देश-विदेश के बौद्ध अनुयायियों के साथ ही आम लोगों के लिए भी प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गया है।
पटना: भगवान बुद्ध के पवित्र स्मृति अवशेषों को समर्पित वैशाली का नवनिर्मित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय और स्मृति स्तूप अब देश-विदेश के बौद्ध अनुयायियों के साथ ही आम लोगों के लिए भी प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गया है। उद्घाटन होने के महज साढ़े चार महीने में यहां 3 लाख 57 हजार से अधिक पर्यटक आ चुके हैं। इनमें छात्र-छात्राएं, पर्यटकीय ग्रुप और बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं। यह जानकारी कला एवं संस्कृति विभाग से मिली है। स्तूप के दर्शन के लिए मुक्त में ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था है।
कई देश से पहुंच रहे हैं पर्यटक
इस भव्य स्तूप और पवित्र अवशेषों के दर्शन करने म्यांमार, वियतनाम, सिंगापुर, अल्जीरिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, अल्बानिया, नेपाल और अफगानिस्तान सहित दर्जनों देशों से पर्यटक दर्शन के लिए वैशाली पहुंच रहे हैं। साथ ही बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे और ग्रुप टूरिस्ट भी यहां आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 29 जुलाई को किया था उद्घाटन
बता दें कि इसी साल जुलाई में स्मृति स्तूप का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। 72 एकड़ में फैले इस परिसर में बना स्मृति स्तूप पूरी तरह बलुआ पत्थरों से निर्मित है। इसमें 42,373 बलुआ पत्थर लगाए गए हैं। स्तूप को भूकंप-रोधी बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, ताकि इसकी मूल संरचना हजारों वर्षों तक सुरक्षित रहे।
इस संबंध में भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने बताया कि पर्यटकों में स्तूप की भव्यता आकर्षण का केंद्र बन गया है। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं। संग्रहालय परिसर को और सुन्दर बनाया जा रहा है ताकि बाहरी हिस्सा भी पहले से सुन्दर और आकर्षण दिखे।
उन्होंने बताया कि आठ ऑस्पीशियस सिंबल, तारा मुद्रा प्रदर्श, लिच्छवि प्रदर्श का अधिष्ठापन हुआ है। स्कल्पचर का कार्य, अशोकन पीलर प्रदर्श सहित अन्य कार्यों को तेजी से पूर्ण किया जा रहा है। संग्रहालय में भी प्रदर्श कार्य तेजी से प्रगति पर है। भूकंप-रोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए स्मृति स्तूप को भूकंपरोधी बनाने में कई मॉडर्न तकनीकों का उपयोग किया गया है। स्तूप की मूलभूत संरचना हजारों वर्षों तक सुरक्षित रहेंगी।