Edited By Umakant yadav, Updated: 10 Oct, 2020 07:12 PM
राजनीति के शह-मात के खेल में संबंधों पर भरोसे की हर पल उड़ती धज्जियों के विपरीत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और उनकी पहली पत्नी राजकुमारी का रिश्ता भी है जो तलाक जैसे कानूनी हथौड़े से नहीं टूटता...
पटना: राजनीति के शह-मात के खेल में संबंधों पर भरोसे की हर पल उड़ती धज्जियों के विपरीत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और उनकी पहली पत्नी राजकुमारी का रिश्ता भी है जो तलाक जैसे कानूनी हथौड़े से नहीं टूटता, वह दूर रहकर भी सुहाग की सलामती की दुआ करता है, ‘पति' को बुलंदियों पर देखने की ताउम्र फरियाद करता है लेकिन जब ‘परमेश्वर' हमेशा के लिए छोड़ जाता है तो दबे जज्बात का चट्टान दरकता भी है, टूटता भी है और पिघलकर आंसुओं में बह भी जाता है।
ऐसा ही कुछ आज स्व. रामविलास पासवान के पटना में श्रीकृष्णपुरी स्थित आवास पर भी दिखा। हमेशा के लिए विदा हो रहे पति को देखने पहुंची राजकुमारी देवी बेसुध थीं लेकिन आंखों से आंसुओं की धार रुक नहीं रही थी। दो महिलाएं उन्हें सहारा देकर घर के अंदर ले गईं। उन्होंने निष्प्राण पति के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी। बताया गया कि गुरुवार को पासवान के निधन की खबर मिलने के बाद से ही वह लगातार रो रही हैं। न भूख न प्यास, बस हर पल अपने पति के लिए बिलखती रहीं। शहरबन्नी से पटना आने के दौरान पानी तक नहीं पिया। ज्यादातर समय अचेत रहीं, जब भी होश में आईं दहाड़े मार मारकर रोने लगीं।
पासवान की पहली शादी महज चौदह साल की उम्र में वर्ष 1960 के आसपास ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वालीं राजकुमारी देवी से हुई थी। लगभग 21 वर्ष के बाद 1981 में पासवान ने उन्हें तलाक दे दिया लेकिन राजकुमारी देवी पति का पैतृक घर छोड़कर कभी नहीं गईं। वह हमेशा खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में ही रहीं। राजकुमारी देवी पर भले ही केंद्रीय मंत्री की चमक धमक का असर न पड़ा हो लेकिन पति की सलामती के लिए हमेशा उनकी मांग का सिंदूर चमकता रहा। पति से दूर रहकर भी वह हमेशा अपनी सुहाग की सलामती के लिए दुआ करती रहीं।