छठी मईया ने पूरी की इस परिवार की मनोकामना, जिस बेटे का 2 साल पहले कर दिया था अंतिम संस्कार, छठ पर्व पर लौटा घर

Edited By Swati Sharma, Updated: 04 Nov, 2022 05:56 PM

may 6th fulfilled the wish of this family

जानकारी के मुताबिक, यह मामला पटना जिले के दानापुर के रामजीचक बाटा का है। बताया जा रहा है कि भगवान भास्कर संजय साव के परिवार की मन्नत सुन ली और इनका खोय़ा हुआ बेटा वापिस लौटा दिया। दरअसल, मानसिक रूप से बीमार 44 वर्षीय संजय2018 में गायब हो गया था। इसके...

पटनाः छठ पूजा का विशेष महत्व व मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है और छठी मईया उनकी सारी मनोकामना पूरी करती हैं। ऐसी ही कुछ सच्ची कहानी बिहार की राजधानी पटना में देखने को मिली है, जहां पर 3 सालों से गुमशुदा एक बेटा छठ पर्व पर घर वापस लौटा है। जब 3 साल तक बेटे को ढूंढने के बाद वो नहीं मिला तो उसके परिजनों ने 2 साल पहले उसका पुतला जलाकर अंतिम संस्कार कर दिया था। वहीं बेटा छठ पर्व के अंतिम दिन अपने घर वापस आया।

3 साल से लापता था संजंय
जानकारी के मुताबिक, यह मामला पटना जिले के दानापुर के रामजीचक बाटा का है। बताया जा रहा है कि भगवान भास्कर संजय साव के परिवार की मन्नत सुन ली और इनका खोय़ा हुआ बेटा वापिस लौटा दिया। दरअसल, मानसिक रूप से बीमार 44 वर्षीय संजय 2018 में गायब हो गया था। इसके बाद उसके परिजनों ने उसे मृत समझकर उसका पुतला बनाकर अंतिम संस्कार कर दिया था, लेकिन इसी बीच वह बीते सोमवार को 3 साल बाद अपने घर के वापिस लौटे है। परिजनों को जब इसकी सूचना छठ घाट पर हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। मां बाप के साथ संजय के बेटा और बेटी उससे लिपट गए और खुशी से रोने लगे।

2 साल पहले कर परिजनों ने कर दिया था अंतिम संस्कार 
वहीं संजंय के पिता ने कहा कि 3 साल पहले बेटा गायब हुआ तो काफी खोजबीन की गई, लेकिन वह नहीं मिला और इसके बाद 2 साल पहले का उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। 3 साल पहले गायब हुए संजय अब स्वस्थ महसूस कर रहे है। 2 माह पहले उन्हें मुंबई के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डॉ भरत भवानी द्वारा संचालित श्रद्धा पूर्ण आवास केंद्र में भेज दिया था, जहां पर उनका इलाज किया जा रहा है। डॉक्टर भरत भगवानी ने काउंसलिंग किया। संजय से जब बात की गई तो उसने बताया कि उनके पिता का नाम नंदलाला हैं। इसके बाद टीम उन्हें लेकर पटना पहुंची। बता दें कि टीम ने बताया कि 29 अक्टूबर को संजय को मुंबई से ट्रेन से लाया गया। दूसरे दिन उसको दानापुर के इलाके में घुमाया ताकि वह अपना घर पहचान सके, लेकिन वह अपना घर नहीं पहचान सका। इसके बाद एक दुकान से नंदलाल साव के घर की जानकारी मिली और संजय को उसके घर लेकर जाया गया।  

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