JDU-BJP में चल रही तल्खी के बीच संजय जायसवाल ने दी नसीहत, कहा- मर्यादा में रहें जदयू नेता

Edited By Ramanjot, Updated: 17 Jan, 2022 04:27 PM

sanjay jaiswal gave advice amidst the ongoing tussle in jdu bjp

जायसवाल ने कहा कि राजग की मर्यादा का ख्याल एकतरफा नहीं चलेगा। उन्होंने जदयू नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि यही रवैया रहा तो भाजपा की तरफ से भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास भी 76 लाख कार्यकर्ता हैं। साथ ही उन्होंने...

पटनाः सम्राट अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करने के बाद से ही बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रमुख घटक जदयू और भाजपा में चली आ रही तल्खी के बीच आज प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने जदयू नेताओं को मर्यादा में रहने की नसीहत दी है। सम्राट अशोक को लेकर उपजे विवाद और फिर दोनों दलों की तरफ से लगतार हो रही बयानबाजी के बाद बिहार भाजपा के अध्यक्ष एवं सांसद संजय जायसवाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से जदयू पर जमकर निशाना साधा है।

जायसवाल ने कहा कि राजग की मर्यादा का ख्याल एकतरफा नहीं चलेगा। उन्होंने जदयू नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि यही रवैया रहा तो भाजपा की तरफ से भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास भी 76 लाख कार्यकर्ता हैं। साथ ही उन्होंने बगैर नाम लिए हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को भी निशाने पर लिया है। साथ ही यह भी कह दिया कि भाजपा को जवाब देने आता है।

"सभी को NDA की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए"
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, 'चलिए माननीय जी को यह समझ आ गया कि राजग गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और बिल्कुल मजबूत है इसलिए हम सभी को साथ चलना है। फिर बार-बार महोदय मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग कर न जाने क्यों प्रश्न करते हैं। राजग गठबंधन को मजबूत रखने के लिए हम सभी को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। यह एकतरफा अब नहीं चलेगा।' उन्होंने कहा कि ‘इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर-ट्विटर ना खेलें। प्रधानमंत्री प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी। उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो जैसा माननीय ने लिखा है कि बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए। ट्विटर-ट्विटर खेलकर यदि उनपर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने इसके साथ ही यह भी कहा, 'आप सब बड़े नेता है। एक बिहार में एवं दूसरे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। फिर इस तरह की बात कहना कि राष्ट्रपति जी द्वारा दिए गए पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें, से ज्यादा बकवास हो ही नहीं सकता। दयाप्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं क्योंकि आपके लिए यह मुद्दा बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है। हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते। लेकिन, हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा आने वाली पीढि़यों को बताई जाए।'

"पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं"
जायसवाल ने कहा कि 74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो। पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद भी राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया क्योंकि पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं है जबकि चाहे वह हरिद्वार में घटित धर्म संसद हो या सैकड़ों हेट स्पीच, सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती। उन्होंने कहा कि सबसे पहले बिहार सरकार दया प्रकाश सिन्हा को उनकी प्राथमिकी के आलोक में गिरफ्तार करे और फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलवाए। उसके बाद बिहार सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास जाकर हम सबों की बात रखे कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए। बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले यह सिर्प हमारी जिम्मेवारी नहीं बल्कि आप की भी है। अगर कोई समस्या है तो हम सब मिल बैठकर उसका समाधान निकालें। हमारे केंद्रीय नेताओं से कुछ चाहते हैं तो उनसे भी सीधे बात होनी चाहिए।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा, 'हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि पुन: मुख्यमंत्री आवास वर्ष 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए। अभी भेड़िया स्वर्ण मृग की भांति नकली हिरण की खाल पहनकर अठखेलियां कर जनता को आकृष्ट कर रहा है। एक पूरी पीढ़ी जो वर्ष 2005 के बाद मतदाता बनी है वह उन स्थितियों को नहीं जानती और बिना समझे कि यह रावण का षड्यंत्र है स्वर्ण मृग पर आकर्षित हो रही है। यथार्थ बताना हम सभी का दायित्व भी है और कर्तव्य भी।'

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