Edited By Ramanjot, Updated: 26 Nov, 2024 05:04 PM
विधानसभा के अंदर आज माले विधायकों ने भी प्रदर्शन किया। भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि भाजपा-आरएसएस हर दिन संविधान का एक पन्ना फाड़ डालने की कोशिश कर रही है। ऐसे में संविधान प्रदत्त अधिकारों को इस्तेमाल करते हुए हमें जनता का...
पटना: भारत का संविधान अपनाए जाने की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवाादी (भाकपा-माले) के आह्वान पर विधानसभा से लेकर दूर दराज के गांव-इलाके में संविधान बचाओ मार्च का आयोजन किया गया। भाजपा-आरएसएस द्वारा संविधान को कुचलने, उसकी मूल भावना को कमजोर करने और संविधान प्रदत्त अधिकारों पर लगातार किए जा रहे हमले के खिलाफ संविधान का पूरा इस्तेमाल करना और संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों पर हनन के खिलाफ संविधान बचाने का यह अभियान लिया गया है। इस मौके पर आज जगह-जगह संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी किया गया।
विधानसभा के अंदर माले विधायकों ने भी किया प्रदर्शन
विधानसभा के अंदर आज माले विधायकों ने भी प्रदर्शन किया। भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि भाजपा-आरएसएस हर दिन संविधान का एक पन्ना फाड़ डालने की कोशिश कर रही है। ऐसे में संविधान प्रदत्त अधिकारों को इस्तेमाल करते हुए हमें जनता का व्यापक संघर्ष खड़ा करना है. यही फासीवादी हमले को हराने का सबसे प्रभावी तरीका है। पटना में जीपओ गोलंबर से आयोजित आज के संविधान मार्च का नेतृत्व पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर, वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, महानगर सचिव अभ्युदय, मुर्तजा अली, जितेन्द्र कुमार, कमलेश कुमार, माधुरी गुप्ता सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता कर रहे थे। कार्यक्रम में राखी मेहता, पन्नालाल सिंह, संजय यादव, पुनीत कुमार, शिक्षाविद गालिब, प्रमोद यादव सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे।
पटना के अलावा नवादा, दरभंगा, गया, मसौढ़ी, बिहारशरीफ, भागलपुर, सिवान, दाउदनगर, आदि मुख्यालयों पर भी मार्च निकाले गए। पटना में बुद्ध स्मृति पार्क पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि संविधान पर हमला तब तेज हो रहा है जब हम संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ और उसके बाद गणराज्य की स्थापना एवं संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ (26 जनवरी, 2025) की ओर बढ़ रहे हैं। राजसत्ता पर काबिज संघ-भाजपा ने देश की आर्थिक और विदेश नीतियों में दक्षिणपंथी, पूंजीवादी और साम्राज्यवादी रुख अपना लिया है। अब वे संविधान को कुचलने और उसकी मूल भावना को कमजोर करने, साथ ही संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन कर रहे हैं।