लाखों जीविका दीदियों के लिए मिसाल बनीं ललिता दीदी, खाद्य प्रसंस्करण उद्यम के क्षेत्र में लहराया अपना परचम

Edited By Swati Sharma, Updated: 27 Jul, 2024 04:33 PM

lalita didi became an example for lakhs of jeevika didi s

बिहार में महिलाएं कभी घूंघट के पीछे और घर की देहरी तक सिमट कर रह गईं थीं। जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तब से महिलाओं का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक तौर से सशक्तिकरण हुआ। जीविका दीदी योजना के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं...

पटना (विकास कुमार): बिहार में महिलाएं कभी घूंघट के पीछे और घर की देहरी तक सिमट कर रह गईं थीं। जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तब से महिलाओं का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक तौर से सशक्तिकरण हुआ। जीविका दीदी योजना के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को आर्थिक तौर से आत्मनिर्भर बनाने का अभियान छेड़ा। इस योजना ने बिहार के गांव में रहने वाली महिलाओं की तकदीर और तस्वीर दोनों को ही बदल कर रख दिया है। बिहार में इस बड़े बदलाव की तस्वीर केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय के आंकड़े से भी पुष्ट होती है। साल 2014 से पहले राज्य में जीविका दीदियों की संख्या लगभग 17 लाख थी, जबकि दस साल में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी दीदियों की संख्या बढ़कर एक करोड़ तीस लाख के पार पहुंच गई है।

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बिहार के हर गांव में कोई न कोई एक जीविका दीदी हैं, जो इलाके में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की प्रतिनिधि बन गईं हैं। भागलपुर जिले की ऐसी ही एक जीविका दीदी ललिता की कहानी भी करोड़ों गरीब महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। ललिता देवी गोगरडीह प्रखंड के बिशनपुर जिछो गांव की रहने वाली हैं। ललिता दीदी अर्पण जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। एक दौर वह भी था जब ललिता देवी के जीवन में आशा की कोई किरण दूर-दूर तक नजर नहीं आती थी, लेकिन जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीविका दीदी योजना की शुरुआत की तब से ललिता देवी के जीवन में आशा की किरणों का संचार हुआ। ललिता देवी के मन में भी ये भरोसा जगा कि वह गांव में रहकर भी कुछ बेहतर काम कर सकती हैं, जिससे न केवल उनके हाथों में पैसे आएंगे बल्कि परिवार के विकास में भी वह कुछ मदद कर पाएंगी।

‘जीविका योजना से जुड़ने के बाद बदल गई ललिता देवी की जिंदगी’
जीविका योजना से जुड़ने से पहले ललिता देवी मजदूरी कर जैसे तैसे गुजर बसर करती थीं। आमदनी का कोई दूसरा साधन नहीं रहने से परिवार चलाने में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इसी बीच ललिता देवी साल 2017 में अर्पण जीविका स्वयं सहायता समूह में जुड़ गईं। इसके बाद उन्होंने समूह से सात हजार रुपए का कर्ज लेकर अचार बनाने का काम शुरू किया। अचार बनाकर बेचने से ललिता देवी को अच्छी आमदनी हुई। इसके बाद उन्होंने सारा वक्त जीविका दीदी योजना से जुड़कर जीवन में खुशियां लाने पर केंद्रित कर दिया। एक बार सफलता का स्वाद चखने के बाद ललिता दीदी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अगली बार ललिता देवी ने समूह से 20,000 रुपए का कर्ज लेकर अचार के साथ पापड़, सत्तू, बड़ी, मुरब्बा जैसी खाद्य सामग्रियां बनाकर बेचने लगीं। हालांकि दूसरे उद्यमियों की तरह ललिता देवी को भी शुरुआत में बाजार तलाशने में दिक्कत का सामना करना पड़ा, लेकिन जीविका के जरिए उन्हें अलग-अलग आयोजनों, मेलों और स्टॉल में अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने का मौका मिला। इससे लोगों को ललिता देवी के उत्पादों की बेहतर क्वालिटी के बारे में जानकारी मिली। धीरे-धीरे कर ललिता देवी के उत्पादों की स्थानीय बाजार में डिमांड बढ़ने लगी।अब बढ़ती मांग की वजह से ललिता देवी ने अब बड़े पैमाने पर अचार, बड़ी, बेसन, सत्तू, दाल, पापड़ आदि खाद्य सामग्रियां तैयार कर बेचने का काम करने लगीं।

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भागलपुर के शहरी इलाकों में भी बढ़ने लगी ललिता देवी के उत्पादों की डिमांड
ललिता देवी के उत्पादों की डिमांड भागलपुर के शहरी इलाकों में भी बढ़ने लगी। इसके बाद ललिता देवी ने समूह से फिर से 40,000 रुपए का कर्ज लेकर अपने कारोबार का विस्तार किया। ललिता देवी ने आगे चलकर उत्पाद की बेहतर प्रस्तुति पर ध्यान दिया और इसके लिए पैकिंग मशीन भी खरीदा। चक्की खरीदने के बाद ललिता देवी को खाद्य सामग्रियां तैयार करने में आसानी होने लगी। ललिता देवी ने एक बार फिर अपने कारोबार का बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया। उन्होंने कारोबार को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना के तहत कर्ज के लिए आवेदन किया। ललिता देवी की इस आवेदन को मंजूर कर लिया गया और उन्हें कर्ज की पहली किस्त के तौर पर 80,000 रुपए मुहैया कराया गया है। इससे ललिता देवी अपने इस कारोबार को बड़ा स्वरूप प्रदान करने की योजना पर काम कर रही है।

किस तरह का उत्पाद तैयार कर रही हैं ललिता देवी?
ललिता देवी आम, हरा मिर्च, लहसुन, लाल मिर्च, आंवला और ओल मिक्स का अचार बनाती हैं। इसके अलावा ललिता दीदी मूंग,चना,चावल और साबूदाना का पापड़ भी तैयार करती हैं। इसके अलावा वह मूंग, उड़द, मसूर, चना, तिल, कोहरा और तीसी से बने उत्पाद भी तैयार करती हैं।

कहां-कहां है ललिता देवी के उत्पाद की डिमांड?
ललिता देवी हटिया, तुलसियान, भागलपुर मॉल, गृहस्थी स्टोर, तिलकामांझी स्टोर और भोला भंडारी में अपना उत्पाद बेचती हैं। इन जगहों में ललिता देवी कुल 22,500 रुपए की मासिक बिक्री करती हैं और इस पर उन्हें हर महीने 9,000 रुपए का मुनाफा होता है। उम्मीद है कि समय के साथ ललिता देवी के मुनाफे में और भी इजाफा होगा।

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प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं ललिता देवी
ललिता देवी से प्रेरित होकर और भी कई महिलाएं जीविका योजना से जुड़ी हैं। ललिता देवी ने अपनी मेहनत और लगन से कठिन परिस्थितियों को पराजित कर दिया है। इसलिए बिहार की लाखों गरीब महिलाओं के लिए ललिता देवी प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।

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