Edited By Geeta, Updated: 05 Mar, 2025 04:28 PM

Mukhyamantri sukhad yojana Jharkhand 2025: झारखंड सरकार राज्यवासियों को लाभ देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है। वहीं अगर बात करें किसानों की तो सरकार किसानों की आर्थिक सहायता के लिए राज्य सरकार कृषि संबंधी कई योजनाएं चलाती है। इनमें से एक...
Mukhyamantri sukhad yojana Jharkhand 2025: झारखंड सरकार राज्यवासियों को लाभ देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है। वहीं अगर बात करें किसानों की तो सरकार किसानों की आर्थिक सहायता के लिए राज्य सरकार कृषि संबंधी कई योजनाएं चलाती है। इनमें से एक मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना (Mukhyamantri sukhad yojana Jharkhand) भी है। हेमंत सरकार की इस योजना के तहत किसानों की फसल खराब होने पर उन्हें राज्य सरकार द्वारा 3,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की आर्थिक सहायता दी जाती है।
30 लाख से अधिक किसान परिवारों को मिलेगी आर्थिक सहायता
वहीं साल 2025 में इस योजना के तहत 30 लाख से अधिक किसान परिवारों को यह राशि दी जानी है। सरकार ने वर्तमान वर्ष 2025 में 22 जिलों के कुल 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। सरकार द्वारा जो आंकड़ों जारी किए गए हैं उसके मुताबिक, 30 लाख से अधिक किसान परिवार सूखे की चपेट में हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ देकर आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। योजना (Mukhyamantri sukhad yojana jharkhand ) का लाभ लेने के लिए प्रभावित किसानों को अपना पंजीकरण करवाना आवश्यक होता है। किसान अपने किसी नजदीकी प्रज्ञा केंद्र पर जाकर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं।
योजना का लाभ पाने के लिए आवश्यक पात्रता:-
योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक किसान को झारखंड का मूल निवासी होना होगा।
जो अन्य बीमा योजना का लाभ ना ले रहें हो
किसान की 33 फीसदी से अधिक फसल नष्ट हुई हो
क्या है आवश्यक दस्तावेज?
इस योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज की बात करें तो आधार कार्ड, राशन कार्ड, किसान आईडी कार्ड, आय प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, निवास प्रमाण पत्र, खेत का खाता नंबर, खसरा नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, मोबाइल नंबर आवश्यक है। रिपोर्टस की मानें तो बीते वर्ष 2024 में कम बारिश होने के कारण 17 जिलों के कुल 158 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। कम बारिश की वजह से लगभग 14 लाख किसान परिवार प्रभावित हुए थे। वहीं, अगर बात करें वर्ष 2023 की तो 22 जिलों के कुल 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। दरअसल, अनियमित बारिश के कारण फसलें खराब हो जाती है जिसके कारण उन्हें कर्ज लेना पड़ जाता है और कई बार कर्ज के तले दबकर किसान आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।