बिहार में हवा हुई जहरीली: पटना समेत 7 शहरों का AQI 'खराब' कैटेगरी में, सांस लेना हुआ मुश्किल!

Edited By Ramanjot, Updated: 13 Dec, 2025 09:31 AM

air quality worsens across bihar patna in orange zone

बिहार में एक बार फिर वायु प्रदूषण ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, राजधानी पटना सहित राज्य के सात प्रमुख शहरों की हवा 'खराब' (Poor) श्रेणी में दर्ज की गई है।

Bihar AQI: बिहार में एक बार फिर वायु प्रदूषण ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, राजधानी पटना सहित राज्य के सात प्रमुख शहरों की हवा 'खराब' (Poor) श्रेणी में दर्ज की गई है। इन शहरों में AQI 200 से 300 के बीच रहा, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि धूलकणों का बढ़ता स्तर इसका मुख्य कारण है। 

आरा सबसे प्रदूषित, समस्तीपुर-राजगीर भी पीछे नहीं 

शहरवार आंकड़ों पर नजर डालें तो आरा का AQI 266, बिहारशरीफ और राजगीर 261-261, समस्तीपुर 258, हाजीपुर और बक्सर 229-229 तथा पटना का औसत AQI 217 दर्ज किया गया। पटना में अलग-अलग क्षेत्रों की स्थिति और भी गंभीर रही – वेटनरी कॉलेज मैदान में 343 (Very Poor), सचिवालय में 253, तारामंडल में 254, दानापुर में 202 और गांधी मैदान में 163। हालांकि पटना सिटी में AQI 90 रहा, जो संतोषजनक है।

प्रदूषण की बड़ी वजह शहरों में चल रहे निर्माण कार्य, वाहनों से उड़ती धूल और सूखी सड़कें बताई जा रही हैं। PM2.5 और PM10 के कण मानकों से काफी ऊपर हैं, जो फेफड़ों तक पहुंचकर गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

स्वास्थ्य पर गहरा असर: डॉक्टरों की चेतावनी – 

बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों को बाहर निकलने से बचें! स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी है। जब AQI 300 के पार जाता है, तो हवा खतरनाक हो जाती है। इससे आंखों में जलन, सिरदर्द, सांस फूलना और खांसी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। हृदय रोगी, अस्थमा मरीज, बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा जोखिम में हैं। डॉक्टरों का सुझाव है कि ऐसे लोग घर से बाहर कम निकलें और जरूरत पर N95 मास्क पहनें। 

नगर निगम पर सवाल: एंटी-स्मॉग मशीनों का पानी AQI मॉनिटरिंग स्टेशन के आसपास ज्यादा? BSPCB चेयरमैन ने किया खारिज

प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर भी बहस छिड़ी हुई है। आरोप लग रहे हैं कि नगर निगम की एंटी-स्मॉग जेट मशीनें सड़कों की बजाय AQI मापने वाले उपकरणों के आसपास ज्यादा पानी छिड़क रही हैं, ताकि आंकड़े बेहतर दिखें। हालांकि बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन डॉ. डीके शुक्ला ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मशीनों के पास छिड़काव से रीडिंग पर कोई असर नहीं पड़ता। यह स्थिति बिहार के शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण की गंभीरता को रेखांकित करती है। लोगों से अपील है कि वे प्रदूषण कम करने में सहयोग करें – वाहन कम चलाएं, धूल नियंत्रण करें और पेड़ लगाएं।

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